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** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Thursday, July 7, 2016

यूँ ही चलते चलते .... दो लाइन (१)



यूँ ही चलते चलते  .... दो लाइन
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१)
नजर तुझसे हटती नहीं नजारों का क्या करूँ
तुझसे ही आबाद जिंदगी बहारों का करूँ  ।
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२)
लानतों मलालतो का दौर है थोड़ा और चलने दो
ये खुशबू  है प्यार की खुलकर बिखरने दो  ।
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३)
मेरी मैय्यत पर  जब आना थोड़ी मुस्कान ले आना ,
अच्छा नहीं होता मुर्दे की खातिर फूलों को सजा  देना  ।
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४)
सुना है तन्हाईयाँ ,रुस्वाइयाँ ,बेवफाईयाँ ,सौगाते है इश्क की ,
छोडो सनम माफ़ करो  ये इश्क नहीं मुझ गरीब के बस की ।
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