.

.
** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Tuesday, March 14, 2017

अबकी होली में

तरसे नैना दिन रात अबकी होली में
रही पिया मिलन की आस अबकी होली में
साजन कर रहे लन्दन का दौरा
नेटवर्क बना मिलन बीच रोड़ा
मैं ठहरी निपट गवाँर
कोई लिख दो उनको तार अबकी होली में
पड़ोसन हमारी बड़ी जालिम गुजरिया
मोरे सैया को रँगे भर पिचकारिया
ये रँग न मुझको भाये
कोई कह दो उसे समझाये अबकी होली में
मोहल्ले के चचा बिरज के वासी
कबर में पाँव उम्र है अस्सी
नाम है कृष्ण मुरारी
लगे राधा उसे हर नारी अबकी होली में


No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...